आज 15 सितम्बर को देश में दूरदर्शन की शुरुआत के 63 बरस पूरे हो गए। जब 15 सितंबर 1959 को दूरर्दशन के रूप में देश में टीवी का आगमन हुआ तब किसी ने नहीं सोचा था कि जल्द ही यह लोगों के घर का एक प्रिय और अहम सदस्य बन जाएगा। आज दूरदर्शन के साथ सैंकड़ों अन्य चैनल्स मौजूद हैं। लेकिन दूरदर्शन की जगह आज भी कोई और नहीं ले सका है। दूरदर्शन के कितने ही पुराने सीरियल हमलोग, बुनियाद, रामायण, महाभारत, कथासागर, यह जो है ज़िंदगी और करमचंद बरसों बाद आज भी दिल में बसे हैं।
आज अलग अलग विषयों पर अलग अलग चैनल्स हैं। लेकिन दूरदर्शन बरसों तक एक ही चैनल के दम पर अपनी सभी भूमिकाएँ अच्छे से निभाता रहा।
दूरदर्शन के प्रमुख महानिदेशक और प्रसारभारती के सीईओ मयंक अग्रवाल बताते हैं-‘’ स्वस्थ मनोरंजन और सटीक समाचारों के मामले में आज भी दूरदर्शन सबसे अहम है। मुझे खुशी है कि हम लोक प्रसारक की अपनी जिम्मेदारियाँ बखूबी निभा रहे हैं। अभी हमने ‘स्वराज’ सीरियल के माध्यम से देश भर के दर्शकों में अपनी बड़ी पहुंच बनाई है। साथ ही सरपंच-बेटी देश की, जय भारती और ये दिल मांगे मोर जैसे हमारे अन्य नए सीरियल भी पसंद किए जा रहे है। दूरदर्शन और आगे बढ़े इसे दर्शक और भी पसंद करें। इसलिए जल्द ही कुछ और सीरियल तथा अन्य कार्यक्रम दूर दर्शन पर शुरू किए जाएँगे।‘’